भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अंतरिक्ष अभियानों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक नहीं, बल्कि दो स्पेस स्टेशनों की योजना बनाई है। इनमें से एक धरती की कक्षा (LEO) में स्थापित होगा, जबकि दूसरा चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। यह कदम भारत को स्पेस अनुसंधान में वैश्विक अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा कर देगा।
धरती का स्पेस स्टेशन
ISRO का पहला स्पेस स्टेशन 2030 तक धरती की निम्न कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) और चीन के तियांगोंग स्पेस स्टेशन के बाद विश्व का तीसरा ऐसा स्टेशन होगा। इस उपलब्धि के साथ भारत अकेले स्पेस स्टेशन बनाने वाला विश्व का दूसरा देश बन जाएगा।
इस स्पेस स्टेशन को विकसित करने की घोषणा 2019 में ISRO के तत्कालीन चेयरमैन के सिवन ने की थी। इसके लिए पहला कदम गगनयान मिशन होगा, जिसमें चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजे जाएंगे। माना जा रहा है कि गगनयान का मिशन उसी बिंदु तक पहुंचेगा, जहां भारत का स्पेस स्टेशन स्थापित किया जाएगा।
चंद्रमा का स्पेस स्टेशन: एक ऐतिहासिक पहल
2040 तक भारत ने चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला मून स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है। यह स्टेशन चंद्रमा पर शोध करने के साथ-साथ मानव मंगल मिशनों के लिए भी एक बेस के रूप में काम करेगा। मून स्पेस स्टेशन बनाने वाला भारत पहला देश होगा।
इससे पहले, ISRO चंद्रयान-4 मिशन को 2028 तक लॉन्च करेगा, जिसमें चांद के दक्षिणी ध्रुव से नमूने एकत्र कर उन्हें धरती पर लाया जाएगा। इसके बाद भारत चांद पर पहला मानव मिशन भेजेगा, जिसके अंतर्गत भारतीय एस्ट्रोनॉट चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। यह मून मिशन तीन चरणों में पूरा होगा:
- रोबोटिक मिशन: चंद्रयान-4 के तहत रोवर और लैंडर से नमूने इकट्ठा किए जाएंगे।
- मानव मिशन: भारतीय एस्ट्रोनॉट चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे।
- मून स्पेस स्टेशन: चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला एक स्थायी स्टेशन बनाया जाएगा, जिससे वहां शोध को निरंतर अंजाम दिया जा सकेगा।
स्पेस स्टेशन: अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान का केंद्र
स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में एक ऐसा मंच होता है, जहां एस्ट्रोनॉट रहकर अनुसंधान करते हैं। यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होता है और ग्रह का लगातार चक्कर लगाता रहता है। वर्तमान में दो प्रमुख स्पेस स्टेशन हैं:
- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS): 15 देशों के सहयोग से निर्मित।
- तियांगोंग स्पेस स्टेशन: चीन द्वारा निर्मित।
इसरो का इंडियन स्पेस स्टेशन इन दोनों के बाद तीसरा प्रमुख स्टेशन होगा। यह वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई क्रांति का वाहक बन सकता है।
मून स्पेस स्टेशन: मानव मंगल मिशन का आधार
मून स्पेस स्टेशन न केवल चंद्रमा पर शोध के लिए उपयोगी होगा, बल्कि यह मंगल मिशनों के लिए भी एक महत्वपूर्ण बेस बनेगा। भविष्य में, मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यान चंद्रमा को एक पड़ाव के रूप में उपयोग करेंगे। यदि भारत यह स्टेशन स्थापित करता है, तो यह अन्य देशों और अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए भी एक सहयोगी मंच साबित हो सकता है।
अंतरिक्ष अभियान के लिए नई तकनीक और प्रशिक्षण
भारत के इस महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में स्पेस डॉकिंग तकनीक का बड़ा महत्व होगा। इसके लिए सरकार ने बजट का प्रावधान किया है। गगनयान मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों को NASA प्रशिक्षण दे रहा है। इनमें वायुसेना के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं।
हाल ही में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के दो अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द ही ISS पर भेजा जा सकता है।
प्रधानमंत्री की प्रेरणा और इसरो का भविष्य
चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO की प्रशंसा करते हुए इसे और बड़े लक्ष्य निर्धारित करने का आह्वान किया था। मानवयुक्त चंद्र मिशन और चांद पर भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को भेजने की उनकी घोषणा ने देश के अंतरिक्ष अभियानों को नई दिशा दी है।